The smart Trick of Shodashi That No One is Discussing
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Oh Lord, the grasp of universe. You would be the Everlasting. You would be the lord of many of the animals and many of the realms, you might be the base in the universe and worshipped by all, devoid of you I'm not a soul.
The Navratri Puja, As an example, requires organising a sacred House and executing rituals that honor the divine feminine, having a target meticulousness and devotion that is certainly considered to convey blessings and prosperity.
देयान्मे शुभवस्त्रा करचलवलया वल्लकीं वादयन्ती ॥१॥
Saadi mantras tend to be more available, utilized for basic worship also to invoke the existence from the deity in everyday life.
The supremely lovely Shodashi is united in the heart in the infinite consciousness of Shiva. She gets rid of darkness and bestows gentle.
The Saptamatrika worship is especially emphasised for all those trying to find powers of Handle and rule, along with for anyone aspiring to spiritual liberation.
यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान साधना है। इसके बारे में ‘वामकेश्वर तंत्र’ में लिखा है जो व्यक्ति यह साधना जिस मनोभाव से करता है, उसका वह मनोभाव पूर्ण होता है। काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण शक्ति प्राप्त करता है, धन की इच्छा रखने वाला पूर्ण धन प्राप्त करता है, विद्या की इच्छा रखने वाला विद्या प्राप्त करता है, यश की इच्छा रखने वाला यश प्राप्त करता है, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र प्राप्त करता है, कन्या श्रेष्ठ पति को प्राप्त करती है, इसकी साधना से मूर्ख भी ज्ञान प्राप्त करता है, हीन भी गति प्राप्त करता है।
वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।
श्रीचक्रवरसाम्राज्ञी श्रीमत्त्रिपुरसुन्दरी ।
॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥
ऐसी कौन सी क्रिया है, जो सभी सिद्धियों को check here देने वाली है? ऐसी कौन सी क्रिया है, जो परम श्रेष्ठ है? ऐसा कौन सा योग जो स्वर्ग और मोक्ष को देने वाला? ऐसा कौन सा उपाय है जिसके द्वारा साधारण मानव बिना तीर्थ, दान, यज्ञ और ध्यान के पूर्ण सिद्धि प्राप्त कर सकता है?
शस्त्रैरस्त्र-चयैश्च चाप-निवहैरत्युग्र-तेजो-भरैः ।
देवीं कुलकलोल्लोलप्रोल्लसन्तीं शिवां पराम् ॥१०॥
प्रासाद उत्सर्ग विधि – प्राण प्रतिष्ठा विधि